सावन की पहली बारिश से मौसम भी करवट बदले
टिप टिप बरसती बूंदों से मिट्टी की जब सुगंध उठे
थके हुए को भी नचवा नचवा के दीवाना बना दे
ऐ ऊचे अम्बर में रहने वाले बादल, जब तू घन घन बरसे
कुछ पलो के लिए किसी के भी सारे गिले शिकवे भुला दे
बारिश के पानी से जो नहाये उसकी सारी थकावट उतार दे
आसमान ख़ुशी में गरजने लगे, और बिजली भी चमकने लगे
ऐ ऊचे अम्बर में रहने वाले बादल, जब तू घन घन बरसे
रिम झिम गिरती बारिश तो गूंगे से भी गीत गँवा दे
मायूस चहरे भी तेरा नाच देख कर शोर मचा दे
कोयल भी डाल पर बैठी मीठा मीठा गीत सुना दे
ऐ ऊचे अम्बर में रहने वाले बादल, जब तू घन घन बरसे
बारिश में नहाकर बच्चे तो कीचड भरे पानी में कूदने लगे
ज़िन्दगी की परेशानिया भूलने और सब बंदिशे तोड़ने लगे
गरम चाय के संग माँ से पकोड़ो की मांग हम करने लगे
ऐ ऊचे अम्बर में रहने वाले बादल, जब तू घन घन बरसे