सपने ऐसे देखो जो अम्बर से करे बात
लेकिन कभी धरती की पकड़ ना छोड़ना !
चाहे जितनी बार खानी पड़े मात
लेकिन सपने देखना नहीं छोड़ना !!
अपनी तरफ आती हर मुसीबत
को हिम्मत से सीखो लड़ना !
जब उम्मीदों की हर दीवार दह जाए
तो भी सपने देखना मत छोड़ना !!
शरीर या बदन के थकने पर नहीं
काम पूरा होने पर ही दोस्तों बैठना !
अगर रात भी काम करने में गुजर जाए
तो भी सपने देखना नहीं छोड़ना !!
चाहे दिन, माह और साल निकल जाए
बेशक निकल जाये खून, या बह जाए पसीना !
मंजिल की तलाश में अगर कुम्भ भी निकल जाए
तो भी तुम सपने देखना मत छोड़ना !!
इस रस्ते निकल पड़े तो वापस नहीं मुड़ना है
क्या कर सकते है हम इस दुनिया को दिखाना है !
पर्वत चट्टानों से भी आगे हमें जाना है
हर कदम पे नए सपने देखना नहीं छोड़ना है !!