(Dedicated to the fighter in each one of us, and especially to those invisible souls who keeps on fighting despite all odds)
खून पसीने को बना तू अपना ईंधन
हर कदम दर्द से पैदा कर अपनी ऊर्जा ।
मंज़िल पे तू गढ़ा अपनी निगाहें
तेरे इंतज़ार में है कांटो भरी राहें ।।
त्याग को बना तू अपना ईंधन
हर बलिदान से पैदा कर अपनी ऊर्जा ।
चहरे पे अपने हमेशा रख मुस्कान
देखने वालो को तू करदे हैरान ।।
घैर्य को बना तू अपना ईंधन
अपनी दृढ़ता से पैदा कर रोज़ ऊर्जा ।
इस समाज का ना बन तू कैदी
तोड़ के बंदिशे उड़ चल ओ पंछी ।।
हर आंसू को बना तू अपना ईंधन
मन के सन्नाटे से पैदा कर तू ऊर्जा ।
नम्न आखो से ही देख तू रोज़ सपने
बोझ के तले कंधो को न दे तू ढकने ।।
हर कुकर्म को बना तू अपना ईंधन
अपने क्रोध से पैदा कर अपनी ऊर्जा ।
क्षमा और सब्र है तेरे पास दो हथियार
एक जंग ख़त्म तो अगली के लिए रह तैयार ।।
हर अन्याय को बना तू अपना ईंधन
मन की ज्वाला से पैदा कर ऊर्जा ।
पकडे रख अपनी आस्था की मशाल
छोटी सी लौ से ही एक दिन आएगा भूचाल ।।
हर काले बादल को बना तू अपना ईंधन
हवा की हर आंधी से उत्पन्न कर ऊर्जा ।
ना घबरा जब तक पाक है तेरा ईमान
तू है आसमान समां ले अपने अंदर हर तूफ़ान ।।