ना ही रीता ना ही गीता
अब नहीं दिखती कोई हसीना
पता भी नहीं चला कब बीता
तेरे संग एक महीना
ना कोई मोती ना कोई हीरा
तू ही है सबसे कीमती नगीना
इतनी जल्दी हो गया पूरा
हमारे मिलन का एक महीना
तेरे प्यार की गर्मी से
बिन मौसम ही आये पसीना
थोडा खेल थोड़ी मस्ती में
निकल गया यह एक महीना
तेरी एक झलक में था मेरा दिल फिसला
तेरे साथ ही है अब तो मरना जीना
पता ही नहीं चला कैसे निकला
तेरे संग यह एक महीना
एक बार जो तुझे अपना लिया
अब छोडूंगा तुझे कभी ना
देखते ही दिल अपना था खो दिया
आज उसे गुम हुए हुआ एक महीना